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Sunday, December 4, 2011

वो रूबरू हुआ तो इक लफ्ज़ न कह सका

01-12-2011
12:35 P.M

वो रूबरू हुआ तो इक लफ्ज़ न कह सका
उम्र भर आईने में जिसे तकता रहा

वो पी लेता था शबनम मेरी पलकों से
ता-उम्र इक कतरे को मै तरसता रहा

वो शज़र सा लहराता फिज़ाओं में महकता था
हर दम जिस रक्स से मैं बचता रहा

वो रोशन शुज़ाओ सा महसूस होता है मुझे
इक लम्हा-ए-इश्क मेरे वजूद में पलता रहा