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Friday, January 25, 2013

जुम्बिश कोई हो भी नहीं मैं तेरा कहा मान लूँ

13-08-2000
01:25 AM

जुम्बिश कोई  हो भी नहीं मैं तेरा कहा मान लूँ
तूँ कुछ कहे भी नहीं और मैं तेरा कहा जान लूँ

देखता रहूँ चाँद को तेरा चेहरा जान कर
सितारों की चमक को तेरा तबस्सुम मान लूँ

निकलता हुआ आफ़ताब हर सुबह मैं थाम लूँ
रौशनी में आफ़ताब की मैं तेरा प्यार जान लूँ

खुशबू तेरे बदन की हर गाम पर मान लूँ
तूँ न मिले तो मैं तेरे लिबास से काम लूँ 

Sunday, January 6, 2013

अच्छा ! अब तुम हमें यूँ सताओगे ?

अच्छा ! अब तुम हमें  यूँ सताओगे ?

छुप के जमाने की भीड़ में,
 इक आवाज़ भी न लगाओगे  ?

मिलोगे जमाने भर से
हमे नज़र भी न आओगे ?

हाल-ए-दिल तुम्हारा हवाओं से जाने ?
अब नज़रों से अपना हाल न सुनाओगे ?

पायल की बंदिशों को तरस गया है दिल
वो दिलरुबा संगीत कब सुनाओगे ?

सोया नहीं हूँ कब से इंतज़ार में तुम्हारी
इक इशारा भेजो क्या ख्वाबों में आओगे ?

Saturday, January 5, 2013

मेरी आँखों की सच्चाइयाँ जो पढ़ी नहीं जाती

मेरी आँखों की सच्चाइयाँ जो पढ़ी नहीं जाती 
तो ज़माने की रवायतों का चश्मा उतार के देख