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Friday, April 26, 2013

चाहत दिल में है और ज़माने से डरते हो ?


17-06-2008
12:29 PM
चाहत दिल में है और ज़माने से डरते हो ?
छुप-छुप के मिलने को तुम मोहब्बत कहते हो ?

इबादत से बढ़कर मक़ाम है मोहब्बत का 
जाने किस बला को तुम खुदा कहते हो ?

सोचो क्या गुनाह है?ज़िंदगी में आना तुम्हारा 
खातिर किसके ज़माने के सितम सहते हो ?

पेचीदगियाँ ज़माने की समझने में ज़िंदगी गुज़र जायेगी 
ज़िंदगी कैसे जियें? तुम्हीं कहो अब क्या कहते हो ?

अज़ी एक बार खुद के हो के तो देखो 
फ़िर कह पाओगे किस से मोहब्बत करते हो ?

आप की नज़रों ने कर दिया है घायल मुझे

आप की नज़रों ने कर दिया है घायल मुझे 
अब तक़दीर की मर्ज़ी है दवा दे या दर्द मुझे