17-06-2008
12:29 PM
चाहत दिल में है और ज़माने से डरते हो ?
छुप-छुप के मिलने को तुम मोहब्बत कहते हो ?
इबादत से बढ़कर मक़ाम है मोहब्बत का
जाने किस बला को तुम खुदा कहते हो ?
सोचो क्या गुनाह है?ज़िंदगी में आना तुम्हारा
खातिर किसके ज़माने के सितम सहते हो ?
पेचीदगियाँ ज़माने की समझने में ज़िंदगी गुज़र जायेगी
ज़िंदगी कैसे जियें? तुम्हीं कहो अब क्या कहते हो ?
अज़ी एक बार खुद के हो के तो देखो
फ़िर कह पाओगे किस से मोहब्बत करते हो ?