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Tuesday, December 30, 2014

जो है एतबार तुम पे

जो है ऐतबार तुम पे वो बरकरार रखना
कि है मोहब्बत याद तुम सरकार रखना

खुशनुमा रहे माहौल यही तस्कीन करता हूँ
कभी-कभी मगर हल्की-सी तक़रार रखना

तुनकमिजाजी की भी तुम्हारी मिसाल दूँ मैं
कभी दिल रुबाई का भी हमसे इसरार रखना

चेहरे पे तुम्हारे मेरी मोहब्बत के अक्स हों
सारी दुनिया के ग़मों से तुम  इंकार रखना

मेरी मोहब्बत  के भी कई  रंग  है  जानाँ
बस ग़म  हो खुशी हो तुम  क़रार  रखना 

मुझे उन हवाओं

मुझे उन  हवाओं का तो पता दो
कि जब मुझे तुम याद आओ
तो उन्हें हाल-ए-दिल बयाँ कर दूँ

वो खामोश मोहब्बत
जो सुलग रही है
बरसों से
उसके धूएँ को
नज़र अंदाज़ कर दूँ

सुलगती मोहब्बत से  मैंने
दिल के चराग़ जलाए  हैं
आ फनां होकर भी तेरी
दुनियाँ  रोशन कर दूँ

कर दूँ अपने जज़्बात ओ ख़्याल
तुझ पे कुर्बान
छू कर तेरे साये को मैं
बेकरार कर दूँ

मुझे मालूम है अब
मुझे तड़पने में  क़रार आता है
खुद को बेनक़ाब कर
ये इक़रार कर दूँ