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Friday, March 6, 2020

तेरी रूहानी आंखों का वो सूनापन

तेरी रूहानी
आंखों का वो सूनापन
लगता है तेरा ही वजूद
तलाश रहा है तुझको

रास्तों पर बदस्तूर चलते देखा
मगर पहुंचकर
मंजिल पर 
भटकते देखा है तुझको

खुशगवार रास्ते पुकारते हैं
अब भी
के सफर के इम्तिहान
बाकी हैं कुछ तो

तूँ रास्तों पर छोड़
कुछ ऐसे निशां अब के
खुद बढ़कर
मंजिल ही पा ले तुझको

Monday, March 2, 2020

ना समझ हूँ लेकिन बादस्तूर फिर भी
ज़माने को सारे समझाए जा रहा हूँ

अपनी तो मुझ को कोई भी ख़बर नही
परमात्मा से सबको मिलवाए जा रहा हूँ

मैं पंडित,मौलवी, वाईज़ और वजी़र
नाम धर्म पे सबको लड़वाए जा रहा हूँ

दैर-ओ-हरम में जाकर लाख मन्नतें मनायी
ये हश्र हुआ है मेरा मयखाने  जा रहा हूँ