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Monday, March 2, 2020

ना समझ हूँ लेकिन बादस्तूर फिर भी
ज़माने को सारे समझाए जा रहा हूँ

अपनी तो मुझ को कोई भी ख़बर नही
परमात्मा से सबको मिलवाए जा रहा हूँ

मैं पंडित,मौलवी, वाईज़ और वजी़र
नाम धर्म पे सबको लड़वाए जा रहा हूँ

दैर-ओ-हरम में जाकर लाख मन्नतें मनायी
ये हश्र हुआ है मेरा मयखाने  जा रहा हूँ 

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