ना समझ हूँ लेकिन बादस्तूर फिर भी
ज़माने को सारे समझाए जा रहा हूँ
अपनी तो मुझ को कोई भी ख़बर नही
परमात्मा से सबको मिलवाए जा रहा हूँ
मैं पंडित,मौलवी, वाईज़ और वजी़र
नाम धर्म पे सबको लड़वाए जा रहा हूँ
दैर-ओ-हरम में जाकर लाख मन्नतें मनायी
ये हश्र हुआ है मेरा मयखाने जा रहा हूँ
ज़माने को सारे समझाए जा रहा हूँ
अपनी तो मुझ को कोई भी ख़बर नही
परमात्मा से सबको मिलवाए जा रहा हूँ
मैं पंडित,मौलवी, वाईज़ और वजी़र
नाम धर्म पे सबको लड़वाए जा रहा हूँ
दैर-ओ-हरम में जाकर लाख मन्नतें मनायी
ये हश्र हुआ है मेरा मयखाने जा रहा हूँ
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