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Wednesday, May 18, 2022

इक बात कह दूँ तो बदल तो नहीं जाओगे


18 May 2022
10:30 AM

इक बात कह दूँ तो बदल तो नहीं जाओगे
कुछ साफ कह दूँ तो बदल तो नहीं जाओगे

तुम्हारी नजरों की खामोशिया कहती है मुझे
बे लिहाफ कह दूँ तो बदल तो नहीं जाओगे

निगाहें तरसती है जो हरदम तेरे दीदार को
बे हिजाब कह दूँ तो बदल तो नहीं जाओगे

इतरा के पूछते हो तुम इन आँखों में क्या है
इक जाम कह दूँ तो बदल तो नहीं जाओगे

कहते जो रहते हो तुम नींद में रखा क्या है
इक ख्वाब कह दूँ तो बदल तो नही जाओगे






Wednesday, May 11, 2022

गजल हो तुम मैं क्या

12:20 AM
11 May 2022

गजल हो तुम मैं क्या कहूँ सँवार लो खुद को
मदहोश मेरी नजर से बस निहार लो खुद को

रुखसार पर जब कभी भी जुल्फ लहराती है
बेबस हूँ मैं तो तुम इक बार प्यार दो खुद को

नशीली ऑखों से मय ओ मीना शरमाती है
जाम ना दो कोई मुझे बस वार दो खुद को

आईना बेबस सा रहता पा के अक्स तुम्हारा
जहमत उठाया न करो यूँ करार दो खुद को