18 May 2022
10:30 AM
इक बात कह दूँ तो बदल तो नहीं जाओगे
कुछ साफ कह दूँ तो बदल तो नहीं जाओगे
तुम्हारी नजरों की खामोशिया कहती है मुझे
बे लिहाफ कह दूँ तो बदल तो नहीं जाओगे
निगाहें तरसती है जो हरदम तेरे दीदार को
बे हिजाब कह दूँ तो बदल तो नहीं जाओगे
इतरा के पूछते हो तुम इन आँखों में क्या है
इक जाम कह दूँ तो बदल तो नहीं जाओगे
कहते जो रहते हो तुम नींद में रखा क्या है
इक ख्वाब कह दूँ तो बदल तो नही जाओगे