12:20 AM
11 May 2022
गजल हो तुम मैं क्या कहूँ सँवार लो खुद को
मदहोश मेरी नजर से बस निहार लो खुद को
रुखसार पर जब कभी भी जुल्फ लहराती है
बेबस हूँ मैं तो तुम इक बार प्यार दो खुद को
नशीली ऑखों से मय ओ मीना शरमाती है
जाम ना दो कोई मुझे बस वार दो खुद को
आईना बेबस सा रहता पा के अक्स तुम्हारा
जहमत उठाया न करो यूँ करार दो खुद को
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