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Wednesday, May 29, 2013

वो जो बिखरे से जज़्बात उमड़ आते है कभी-कभी

वो जो बिखरे से जज़्बात उमड़ आते है कभी-कभी
आओ दोस्तों उन्हें कभी अलफ़ाज़ का लिबास दे 

Monday, May 27, 2013

बहुत खूबसूरत सी है ज़िंदगी

बहुत खूबसूरत सी है ज़िंदगी
आओ दोस्तों मज़ा करे
 
कुछ सरफिरो के चलते
क्यूँ जिंदगी को कज़ा करे
 
खताए होती भी  रहेंगी आदमीं जो ठहरे
कुछ खताओं के चलते क्यूँ जिंदगी को सजा करे
 
बेशक उम्मीद कायम है संभल जाने की
फिसलने की मगर क्यूं हम रज़ा करे
 
गम-ए-हयात की संजीदगी भी रहे कायम
इस निस्बत से खुशनुमा फिज़ा करे
 
..........
आओ दोस्तों मज़ा करे
 

तूँ ही दे इक मशविरा .......

तूँ ही दे इक मशविरा .......
की लुट के तेरे इश्क में
कोई रुख करे तो,
किधर का .......?
 

Wednesday, May 22, 2013

खुशबू और हवाओं के अक्स की बात करते हो


खुशबू और हवाओं के अक्स की बात करते हो
मेरे ज़ेहन से - बहोत आगे की बात करते हो  

इक कतरा प्यास है मेरी, आरज़ू समंदर की कौन करे ?

इक कतरा प्यास है मेरी, आरज़ू समंदर की कौन करे ?
'उसकी' क़ायनात, उसकी जिंदगी, कोई जुस्तजू कौन करे ?

'वोही' सवाल, वोही जवाब, वोही आफ़ताब, वोही माहताब
'किसको' देखूँ, किसको चाहूँ, तासीर-ए-ख़्वाब कौन करे ?

कौन हूँ मैं ? जो चाहूँ कुछ, कौन है तूँ? जिसे चाहूँ मैं
तूँ और मैं यहाँ है भी के नहीं? इसकी इतला  कौन करे ?

कौन आया? कौन गया? किसने बनाया? किसने मिटाया?
किसने खोया? किसने पाया? इसका फैसला कौन करे?


 

Monday, May 6, 2013

तेरी कुर्बत का जश्न कुछ इस कदर मनाया हमने

26-03-2010
12:10 AM
तेरी कुर्बत का जश्न कुछ इस कदर मनाया हमने
भुला दिया ज़माने को फक़त इश्क को अपनाया हमने

लम्हा-लम्हा गिना करते थे कभी वक़्त ज़िंदगी का
वक़्त गुज़र गया कितना अब ये भी छुपाया हमने

चैन नहीं था इक पल, इक बेकरारी सी थी हरदम
तुम्हें पाया तो जुनूँ इश्क का भी दिखाया हमने

दौलत मिली, शोहरत मिली,ख़ुशी सिमट गई दिल में
किस्मत का ये खेल देखा, तुमको जब पाया हमने

यूँ तो खबर भी थी कि,ज़माना लूट रहा है मुझको
तेरी चाहत थी दिल में तो हर फरेब भी खाया हमने