26-03-2010
12:10 AM
तेरी कुर्बत का जश्न कुछ इस कदर मनाया हमने
भुला दिया ज़माने को फक़त इश्क को अपनाया हमने
लम्हा-लम्हा गिना करते थे कभी वक़्त ज़िंदगी का
वक़्त गुज़र गया कितना अब ये भी छुपाया हमने
चैन नहीं था इक पल, इक बेकरारी सी थी हरदम
तुम्हें पाया तो जुनूँ इश्क का भी दिखाया हमने
दौलत मिली, शोहरत मिली,ख़ुशी सिमट गई दिल में
किस्मत का ये खेल देखा, तुमको जब पाया हमने
यूँ तो खबर भी थी कि,ज़माना लूट रहा है मुझको
तेरी चाहत थी दिल में तो हर फरेब भी खाया हमने
12:10 AM
तेरी कुर्बत का जश्न कुछ इस कदर मनाया हमने
भुला दिया ज़माने को फक़त इश्क को अपनाया हमने
लम्हा-लम्हा गिना करते थे कभी वक़्त ज़िंदगी का
वक़्त गुज़र गया कितना अब ये भी छुपाया हमने
चैन नहीं था इक पल, इक बेकरारी सी थी हरदम
तुम्हें पाया तो जुनूँ इश्क का भी दिखाया हमने
दौलत मिली, शोहरत मिली,ख़ुशी सिमट गई दिल में
किस्मत का ये खेल देखा, तुमको जब पाया हमने
यूँ तो खबर भी थी कि,ज़माना लूट रहा है मुझको
तेरी चाहत थी दिल में तो हर फरेब भी खाया हमने
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