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Sunday, December 8, 2013

खर्च ज़हन का बढ़ा लिया है मैने

07:30 AM
08-12-2013

खर्च ज़हन का बढ़ा लिया है मैने
वर्क ज़माने का उतार दिया है मैने

रंग-ओ-नक्श मेरा कुदरत की देन है
नीयत को अपनी निख़ार लिया है मैने

फ़ासले अब कहीं चुभते नहीं मुझको
हर ज़र्रे में तुझको देख लिया है मैने

मुझसे रिश्ता तेरा लिखा है अज़ल से
वक्त के साथ ये जान लिया है मैन

Saturday, December 7, 2013

उसने कर दिया पर मैं नहीं कर पाया

11:15 PM
02/12/2013

उसने कर दिया पर मैं नहीं कर पाया
पत्थर इसलिए हाथ में उठाता हूँ मैं

मुझमें दबे जज़्बात वो जिए जी भर के
बस इसलिए उसे सज़ाए दिलाता हूँ मैं

रूक न जाये कहीं रोशनी का कारवाँ
चराग़ इसलिए अब यहाँ जलाता हूँ मैं

मुझमें जो कसमसाता है जाहिर न हो जाए
बेवजह इसलिए अब मुस्कराता हूँ मैं

जिंदगी है ये मुझे इसकी समझ कुछ नहीं
अलबत्ता जिंदगी सबको समझाता हूँ मै