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Saturday, December 7, 2013

उसने कर दिया पर मैं नहीं कर पाया

11:15 PM
02/12/2013

उसने कर दिया पर मैं नहीं कर पाया
पत्थर इसलिए हाथ में उठाता हूँ मैं

मुझमें दबे जज़्बात वो जिए जी भर के
बस इसलिए उसे सज़ाए दिलाता हूँ मैं

रूक न जाये कहीं रोशनी का कारवाँ
चराग़ इसलिए अब यहाँ जलाता हूँ मैं

मुझमें जो कसमसाता है जाहिर न हो जाए
बेवजह इसलिए अब मुस्कराता हूँ मैं

जिंदगी है ये मुझे इसकी समझ कुछ नहीं
अलबत्ता जिंदगी सबको समझाता हूँ मै

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