11:15 PM
02/12/2013
उसने कर दिया पर मैं नहीं कर पाया
पत्थर इसलिए हाथ में उठाता हूँ मैं
मुझमें दबे जज़्बात वो जिए जी भर के
बस इसलिए उसे सज़ाए दिलाता हूँ मैं
रूक न जाये कहीं रोशनी का कारवाँ
चराग़ इसलिए अब यहाँ जलाता हूँ मैं
मुझमें जो कसमसाता है जाहिर न हो जाए
बेवजह इसलिए अब मुस्कराता हूँ मैं
जिंदगी है ये मुझे इसकी समझ कुछ नहीं
अलबत्ता जिंदगी सबको समझाता हूँ मै
02/12/2013
उसने कर दिया पर मैं नहीं कर पाया
पत्थर इसलिए हाथ में उठाता हूँ मैं
मुझमें दबे जज़्बात वो जिए जी भर के
बस इसलिए उसे सज़ाए दिलाता हूँ मैं
रूक न जाये कहीं रोशनी का कारवाँ
चराग़ इसलिए अब यहाँ जलाता हूँ मैं
मुझमें जो कसमसाता है जाहिर न हो जाए
बेवजह इसलिए अब मुस्कराता हूँ मैं
जिंदगी है ये मुझे इसकी समझ कुछ नहीं
अलबत्ता जिंदगी सबको समझाता हूँ मै
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