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Sunday, December 8, 2013

खर्च ज़हन का बढ़ा लिया है मैने

07:30 AM
08-12-2013

खर्च ज़हन का बढ़ा लिया है मैने
वर्क ज़माने का उतार दिया है मैने

रंग-ओ-नक्श मेरा कुदरत की देन है
नीयत को अपनी निख़ार लिया है मैने

फ़ासले अब कहीं चुभते नहीं मुझको
हर ज़र्रे में तुझको देख लिया है मैने

मुझसे रिश्ता तेरा लिखा है अज़ल से
वक्त के साथ ये जान लिया है मैन

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