मुकाम मिल गया इक्किस बरस इंतज़ार का.......
चाँद सितारों ने दिया पता शब-ए-इकरार का.......
मैं दिवाना था किस क़दर विसाल-ओ-करार का...
खुदाया पिया समंदर शब भर हुस्न-ए-यार का....
फिसले चाँदनी तेरे रंग-ओ-जमाल-ए-रुख़सार से
और मुझे मिल गया खज़ाना तेरे इंतख़ाब का.....
ताब-ए-तबस्सुम वायस-ए-सकून-ए-रूह है ग़र
शोखी-ए-नज़र में इशारा है तेरे एतबार का.....
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