तेरे बदन की खुश्बू घुली मेरी साँसों में तो
ग़ज़ल हो गयी
तेरी आँखों की शराब छलकी मेरे दिल से तो ग़ज़ल हो गयी
टूटी जो तेरी अलसायी सी अंगड़ायी तो
ग़ज़ल हो गयी
तेरी पलके जो झुकी तो शाम यूँ ढली तो ग़ज़ल हो गयी
नमकीन से जज़्बात मुलायम से अल्फाज़ मिले तो ग़ज़ल हो गयी
No comments:
Post a Comment