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Sunday, December 4, 2016

आ गया हूँ मोहब्बत की पनाहों में मैं

आ गया हूँ मोहब्बत की पनाहों में मैं
अब ना रुसवाईयों का कोई गिला देना

ताउम्र तरसा है फ़क़त वसल के लिए
मिले इश्क तुम्हें अगर हमें मिला देना

उजड़ा हुआ दयार ना बन जाए दिल मेरा
महकता फूल इस गुलशन में  खिला देना

तुम्हें चाहा है और चाहता ही रहूँ उम्र भर
मेरी इबादत बस इस तरह का सिला देना

बन जाऊँंगा कभी तेरे दर के भी काबिल
हो इजाज़त तो हमें ख़ुद से मिला देना



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