Tribute to Ghalib
गा़लिब तेरी इबारत की इक अलहदा रीत है
तेरा उस दौर का इश्क मेरी इस दौर की प्रीत है
तेरी फक्कड़ फकीरी रही सदा बेज़ार फिक्र से
मेरी मस्त मौला मस्ती में भी बस तेरी ही जीत है
हजारों ख़्वाहिशे ऐसी के हर ख्वाहिश पे दम निकले
बेशक सारे जहाँ में यही सब से हसीन इक गीत है
तुम ख़त लिखो ग़ालिब और तुम्हें जवाब हो मालूम
मेरी तकदीर में देख तूँ इक तरसाता सा मीत है
गा़लिब तेरी इबारत की इक अलहदा रीत है
तेरा उस दौर का इश्क मेरी इस दौर की प्रीत है
तेरी फक्कड़ फकीरी रही सदा बेज़ार फिक्र से
मेरी मस्त मौला मस्ती में भी बस तेरी ही जीत है
हजारों ख़्वाहिशे ऐसी के हर ख्वाहिश पे दम निकले
बेशक सारे जहाँ में यही सब से हसीन इक गीत है
तुम ख़त लिखो ग़ालिब और तुम्हें जवाब हो मालूम
मेरी तकदीर में देख तूँ इक तरसाता सा मीत है
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