ज़िंदगी में जो ख़ला - सी है
किसी और की ख़ता - सी है
मुझे पुकारती कसमसाहटें तेरी
तेरी फ़ितरत बेशक बला - सी है
ख़ामोशियां कहती है कुछ तो
अल्फाज़ से मगर ख़फा - सी है
जफा़ ऐसे बिखरी हयात में
वफ़ा अब इक सज़ा - सी है
अक्स देता है आईना तुम्हें
ज़ाहिर मगर कज़ा - सी है
किसी और की ख़ता - सी है
मुझे पुकारती कसमसाहटें तेरी
तेरी फ़ितरत बेशक बला - सी है
ख़ामोशियां कहती है कुछ तो
अल्फाज़ से मगर ख़फा - सी है
जफा़ ऐसे बिखरी हयात में
वफ़ा अब इक सज़ा - सी है
अक्स देता है आईना तुम्हें
ज़ाहिर मगर कज़ा - सी है
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