जज्बात और अल्फाज़ का मिलन बना है खास सा तुम कैफियत से जायका लेना हर इक एहसास का
कोई धूप छोड़ गया है मेरे हिस्से में भर-भर झोलीयाँ खुद पे वारता हूँ मैं अपनी दीवानगी तो पहले कम न थी नज़रों से उनकी नज़रें उतारता हूँ मैं
No comments:
Post a Comment