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Sunday, January 15, 2017

कोई धूप छोड़ गया है मेरे

कोई धूप छोड़ गया है मेरे हिस्से में
भर-भर झोलीयाँ खुद पे वारता हूँ मैं
अपनी दीवानगी तो पहले कम न थी
नज़रों से उनकी नज़रें उतारता हूँ मैं

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