नशे में मैं बस बहकता ही रहूँ
मय आँंखों से तेरी छलकती रहे
चांदनी वो मैं पीता ही रहूँ
बदन से तेरे जो फिसलती रहे
खुशबू में मैं महकता ही रहूँ
ज़ुल्फ़ जो तेरी उड़ती रहे
नगमा वो मैं सुनता ही रहूँ
पायल जो तेरी बजती रहे
मोहब्बत मैं मनाता ही रहूँ
इश्क मेरे में जो सजती रहे
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