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Thursday, June 15, 2017

नशे में मैं बस बहकता ही रहूँ

नशे में मैं बस बहकता ही रहूँ
मय आँंखों से तेरी छलकती रहे

चांदनी वो मैं पीता ही रहूँ
बदन से तेरे जो फिसलती रहे

खुशबू में मैं महकता ही रहूँ
ज़ुल्फ़ जो तेरी उड़ती रहे

नगमा वो मैं सुनता ही रहूँ
पायल जो तेरी बजती रहे

मोहब्बत मैं मनाता ही रहूँ
इश्क मेरे में जो सजती रहे

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