अब तो मिलने की ज़िद भी छोड़ दी मैंने
अब तो अपनी आँखों में बसा लो मुझ को
जन्मों की प्यास सदियों से भरी है दिल में
मेरे वजूद से ही अब तुम मिला दो मुझ को
मैं कहूँ या कह भी न सकूँ, समझ जाओ तुम
इतराने की इक तरकीब तो बता दो मुझ को
मिलने की बात पर तुम बेशक मुँह मोड़ लो
मैं सँवर जाऊँ ऐसी शाम तो बता दो मुझ को
No comments:
Post a Comment