In reply to my friend Devender "Kafir"
ना तूँ मेरे होने से है
मैं भी उसके होने से हूँ
तू भी जिसके होने से है
खेती इंसान की ना मेरा कारोबार
ना तेरा सरोकार
बीज की फितरत भी फ़क़त
बस किसी के बोने से हैं
इल्म बीज को भी कहाँ ?
बना वो किस के कोने से है
ना तूँ मेरे दर्द में शामिल
ना मैं तेरे दर्द में शामिल
कोई फर्क नहीं यहाँ पर
मतलब चाहे किसी के रोने से है
हाँ यह सच है बिल्कुल सच है
गुम है हम दोनों
मगर यह कहना मुश्किल कि
यह तेरे खोने से या मेरे खोने से है
अब जान कर भी अंजान मत बन "क़ाफिर" जाने तू भी है सारा खेल
ना कुछ तेरे होने से है
ना कुछ मेरे होने से है
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