तेरी शोखियां दम भरती हैं मेरी निगाहों के सामने ....
क्यों मसोसता है दिल को तू मेरे करीब आने पे .....
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Tuesday, February 7, 2017
तेरी शोखियां दम भरती हैं
Monday, February 6, 2017
एक मुट्ठी अंधेरा मांग रहा था वो
एक मुट्ठी अंधेरा मांग रहा था वो
मैं जाहिल शमां बुझाने चल दिया
अंतस का अंधकार मांग रहा था वो
और मैं? मैं उजाला मिटाने चल दिया
Thursday, February 2, 2017
शब्दों की टोकरी लिए आ जाते हैं लोग
शब्दों
की टोकरी
लिए आ जाते हैं लोग
मेरे दिल के दरवाजे पर
दुकान सजाते हैं लोग
तुम एक
मुस्कुराहट से ही
मेरे दिल में उतर गई
भीतर आने के लिए
बहुत चिल्लाते हैं लोग
सोए हुए अरमान
और खोए से जज्बात
न जाने क्यों इतना
शोर मचाते हैं लोग
लूट लेना मुझे बेशक
बहुत आसान है मगर
लूट लेने के ख्वाब
क्यों सजाते हैं लोग
मुझे परवाह है
हर लम्हा निगाह की तेरी
अपनी नजरों से मेरा
मोल क्यों लगाते हैं लोग
तू खामोश है
एक कदम बढ़ा भी ना सके
मैं इंतजार में खड़ा तेरी
बीच में आ जाते हैं लोग
तू बेवफा समझे मुझे
मौका वफा का दिए बगैर
मैं चुपचाप हूं फिर भी
तेवर दिखाते हैं लोग
तू समझे है मुझे मगर
खुद से अनजान होकर
मैं समझता हूं तुझे
आकर यह बताते हैं लोग
बनके महक
लिपटा हूँ रूह से तेरी
खुशबू बताती है मुझे
तेरे दर से जब आते हैं लोग
तू सामने मेरे
मैं सामने तेरे
हम मिलकर भी ना मिले
बस यही तो चाहते हैं लोग
तू मुझ में है सदा
मैं तुझ में हूं सदा
कभी अपना कभी पराया
तो बन जाते हैं लोग
ना जिस्म है तू
ना निगाह हूं मैं
मगर इक पाक सी मोहब्बत
कहां समझ पाते हैं लोग