जज्बात और अल्फाज़ का मिलन बना है खास सा तुम कैफियत से जायका लेना हर इक एहसास का
एक मुट्ठी अंधेरा मांग रहा था वो मैं जाहिल शमां बुझाने चल दिया अंतस का अंधकार मांग रहा था वो और मैं? मैं उजाला मिटाने चल दिया
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