जज्बात और अल्फाज़ का मिलन बना है खास सा तुम कैफियत से जायका लेना हर इक एहसास का
फुरसत
भी हो ......
तनहाई
भी हो .......
ऐसे में ताजा हवा का झोंका
छू जाए वजूद को . . . . . .
दो लफ़्ज़
हो मेरे पास .....
इक तुझ में
खो जाएं कहीं ......
और ढूंढता फिरे
महबूब को......
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