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Friday, June 26, 2020

जज्बातों का गुलदस्ता

जज्बातों 
का गुलदस्ता
लिए खड़ा हूँ
उस मोड़ पर
सोचता हूँ
तुम्हें पुकार लूँ
या सिर्फ निहार लूँ

कभी सोचता हूँ
तुम खुद बढ़ कर
जीत लोगे मुझे
कभी सोचता हूँ
खुद जाकर तुम
से ही मैं हार लूँ

मायने हार जीत के
उतने भी नहीं है
जितने अरमान
सोचा है तुम पर
यूँ ही वार दूँ

तुम्हारी
नजरों की शरारतें
कचोटती हैं दिल को
किस यत्न से कहो
इन आँखों के पार हूँ

कोई कुछ भी कहे
हमें क्या लेना देना
मगर, दिल तो बहुत है
तुम्हारी जिंदगी सँवार दूँ





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