जज्बातों
का गुलदस्ता
लिए खड़ा हूँ
उस मोड़ पर
सोचता हूँ
तुम्हें पुकार लूँ
या सिर्फ निहार लूँ
कभी सोचता हूँ
तुम खुद बढ़ कर
जीत लोगे मुझे
कभी सोचता हूँ
खुद जाकर तुम
से ही मैं हार लूँ
मायने हार जीत के
उतने भी नहीं है
जितने अरमान
सोचा है तुम पर
यूँ ही वार दूँ
तुम्हारी
नजरों की शरारतें
कचोटती हैं दिल को
किस यत्न से कहो
इन आँखों के पार हूँ
कोई कुछ भी कहे
हमें क्या लेना देना
मगर, दिल तो बहुत है
तुम्हारी जिंदगी सँवार दूँ
का गुलदस्ता
लिए खड़ा हूँ
उस मोड़ पर
सोचता हूँ
तुम्हें पुकार लूँ
या सिर्फ निहार लूँ
कभी सोचता हूँ
तुम खुद बढ़ कर
जीत लोगे मुझे
कभी सोचता हूँ
खुद जाकर तुम
से ही मैं हार लूँ
मायने हार जीत के
उतने भी नहीं है
जितने अरमान
सोचा है तुम पर
यूँ ही वार दूँ
तुम्हारी
नजरों की शरारतें
कचोटती हैं दिल को
किस यत्न से कहो
इन आँखों के पार हूँ
कोई कुछ भी कहे
हमें क्या लेना देना
मगर, दिल तो बहुत है
तुम्हारी जिंदगी सँवार दूँ
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