View - एक नज़रिया
जज्बात और अल्फाज़ का मिलन बना है खास सा तुम कैफियत से जायका लेना हर इक एहसास का
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Friday, June 26, 2020
इल्तज़ा है जिंदगी से मेरी Re
इल्तज़ा है जिंदगी से मेरी
किसी रोज़ वो मेरे घर आये
मैं सितारों को भी दावत दे दूं
कह दूं वक़्त से भी ठहर जाये
उनकी आँखों से लिपटी शबनम
काश मेरी पलकों पे कहर ढाए
चांदनी फिसले बदन से तुम्हारे
रूह में शबनम सी उतर जाए
इश्क सा महके चाँद की रात
उस शोख़ से कहना सँवर जाए
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