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Friday, November 4, 2011

इल्तज़ा है जिंदगी से मेरी

26.06.1994
9:45 P.M

इल्तज़ा है जिंदगी से मेरी
किसी रोज़ वो मेरे घर आये

मैं सितारों को भी दावत दे दूं
कह दूं वक़्त से भी ठहर जाये

उनकी आँखों से लिपटी शबनम
काश मेरी पलकों पे ठहर जाए

रात काफी नहीं है इश्क के लिए
उस शोख़ से कहना संवर जाए

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