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Thursday, November 10, 2011

ढल जाएगा ये हुस्न तो क्या कीजिएगा

23.04.1994
4:00 P.M

ढल जाएगा ये हुस्न तो क्या कीजिएगा
हाँ मेरे शानो पर सर रख दिया कीजिएगा

फीकी जब हो जाएगी इन रुखसारों की लाली
रंग मेरे लहू का कुछ मिला लीजिएगा

ढलक-ढलक जाएगा जब ये आँचल आपका
उभरे मेरे सीने में खुद को छुपा लीजिएगा

आँखों में सरूर न अदाओं में जादू होगा
मेरे अशआरो से शबाब कुछ चुरा लीजिएगा

चाहने वाले दूर हो जायेंगे जब हुस्न के तेरे
जुनूँ मेरे जज़्बातों का फिर आज़मा लीजिएगा


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