23.04.1994
4:00 P.M
4:00 P.M
ढल जाएगा ये हुस्न तो क्या कीजिएगा
हाँ मेरे शानो पर सर रख दिया कीजिएगा
फीकी जब हो जाएगी इन रुखसारों की लाली
रंग मेरे लहू का कुछ मिला लीजिएगा
ढलक-ढलक जाएगा जब ये आँचल आपका
उभरे मेरे सीने में खुद को छुपा लीजिएगा
आँखों में सरूर न अदाओं में जादू होगा
मेरे अशआरो से शबाब कुछ चुरा लीजिएगा
चाहने वाले दूर हो जायेंगे जब हुस्न के तेरे
जुनूँ मेरे जज़्बातों का फिर आज़मा लीजिएगा
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