26.03.1994
12:30 A.M
12:30 A.M
वो आग थी या पानी मैं समझ न पाया
उसने जलाया भी है दिल को बुझाया भी है
उतर कर मेरे दिल में वो मचली थी बहुत
उसने मिटाया भी है मेरे इश्क को बनाया भी है
अटकी थी इक बात जो जुबां पर अज़ल से
उसने बताया भी है दिलबर को सुनाया भी है
कहने को बुरी चीज़ है शराब लेकिन
उसने घटाया भी है जिंदगी को बढ़ाया भी है
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