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Saturday, June 2, 2012

रात के अंधेरो में जिस्म टटोलता है कोई

02-06-2012
04:10 PM
रात के अंधेरो में जिस्म टटोलता है कोई
मेरे ख्वाबों को शिद्दत से तोलता है कोई

मैं आवाज़ दूँ तो मेरी बात नहीं सुनता
ज़ुबां ख़ामोश रख रूह से बोलता है कोई

मैं पूछता हूँ उसको, अपना पता नहीं देता
भर के तस्वीरों में जिंदगी डोलता है कोई

रख के तक़दीर को मेरी इस जमाने से परे
मेरे नसीबों में इक रस-सा  घोलता है कोई

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