कोई लाख़ अलग समझे, सब एक है
नीयत कोई बुरी करले रूह पर एक है
कई रंग क़ायनात में, कोई जुदा नहीं
सब रंग मिला दो तो वो भी एक है
कोई किसी भी राह चले तमाम ज़िंदगी
क्या फरक भला जब क़ायनात एक है
कोई दर्द समझ ले इसको या मज़ा
कैफ़ियत है अलग शै मगर एक है
कोई फ़कीर कोई वज़ीर ज़िंदगी की बात
अंज़ाम मौत ही मगर सबका एक है
जिंदगी अलग-अलग बस मौत एक है
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