22-09-09
11:15 PM
मैं नशे में बस बहकता ही रहूँ
तेरी आँखों से मय मिलती रहे
वो चाँदनी बस मैं पीता ही रहूँ
तेरे जिस्म से जो फिसलती रहे
महकता ही रहूँ खुशबू से मैं
तेरी ज़ुल्फ़ से जो उड़ती रहे
नगमों को मैं सुनता ही रहूँ
तेरी पायल है जो बजती रहे
मोहब्बत को मैं मनाता ही रहूँ
मेरे इश्क़ में जो सजती रहे
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