24-01-1993
10:00 PM
जज़्बा हर दिल में इक मुहब्बत का होता है
हर मुहब्बत को मंजिल मिल जाये ये ज़रूरी तो नहीं
हाँ मुहब्बत है मुझको तुमसे ही "जानम"
एहसास तुम्हे भी इस बात का हो ये ज़रूरी तो नहीं
ग़म हँस कर भी झेलने वाले है इस जमाने में
अश्क़ ही बहाये तेरी याद में ये ज़रूरी तो नहीं
दिल शाद रह सकता है फ़कत इस जज़्बे से ही
मयकशी से ही दिल बहलाए ये ज़रूरी तो नहीं
ज़िंदा हूँ तो भी मिसाल क़ायम है मेरी मुहब्बत की
न पाया तुझे तो फनाँ हो जाये ये ज़रूरी तो नहीं
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