21-04-2012
01:30 PM
हाँ पागल हूँ मैं ! हाँ दिवाना हूँ मैं !
ग़म बाँटने का किसी की ग़र है ये सज़ा
तो इस सज़ा का हर बहाना हूँ मैं
हाँ पागल हूँ मैं ! हाँ दिवाना हूँ मैं !
जीता हूँ मैं रोज़, हर शब मरता भी हूँ मैं
गुजश्ता जमाने का इक फ़साना हूँ मैं
हाँ पागल हूँ मैं ! हाँ दिवाना हूँ मैं !
तेरे दिल में भी उतरा तुझे जगाया भी बहुत
तेरे सोये अरमानों का ठिकाना हूँ मैं
हाँ पागल हूँ मैं ! हाँ दिवाना हूँ मैं !
मुझे चाहे कोई क्यूँ, मुझे सराहे कोई क्यूँ
हर तीर चले जिस पर वो निशाना हूँ मैं
हाँ पागल हूँ मैं ! हाँ दिवाना हूँ मैं !
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