मस्त बनाती है तेरी चाहत मुझको
दीवाना तेरी आँखे मुझे बना देती है
क्या सोचती रहती है हरदम सूरत तेरी
मेरे दिल में इक ख़लिश सी जगा देती है
सिमटी हुई है लाली जो रुखसार पे तेरे
फिज़ां को किस कदर रंगीन ये बना देती है
कभी लगता है तेरी ये गर्म साँसें
मेरी बहकी साँसों को पनाह देती है
भोली तेरी सूरत पे वो मस्तानी हँसी
जानम मेरे जज़्बातों को सहला देती है
दीवाना तेरी आँखे मुझे बना देती है
क्या सोचती रहती है हरदम सूरत तेरी
मेरे दिल में इक ख़लिश सी जगा देती है
सिमटी हुई है लाली जो रुखसार पे तेरे
फिज़ां को किस कदर रंगीन ये बना देती है
कभी लगता है तेरी ये गर्म साँसें
मेरी बहकी साँसों को पनाह देती है
भोली तेरी सूरत पे वो मस्तानी हँसी
जानम मेरे जज़्बातों को सहला देती है