31-07-2011
5.25 p.m.
पहले बात करती थी मौसम की फूलो की
अब आटे दाल का भाव सुनाती हो मुझे !
पहले आँखों में तेरी शोखी थी प्यार की
अब किराया घर का बताती हो मुझे
पहले सुलझाता था उलझी जुल्फे आपकी
अब बिजली के तारो में उलझाती हो मुझे
पहले तारे गिनता था यादों में आपकी
अब दिन में तारे दिखाती हो मुझे !
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