View - एक नज़रिया
जज्बात और अल्फाज़ का मिलन बना है खास सा तुम कैफियत से जायका लेना हर इक एहसास का
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Thursday, December 20, 2012
बहुत मुमकिन था मिल जाते किसी मोड़ पर वो
बहुत मुमकिन था मिल जाते किसी मोड़ पर वो
हम मायूस इतने थे मगर की राहों पे चलना छोड़ गए
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