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Monday, September 26, 2016

मुआफिक नहीं है ये इलाज़

मुआफिक नहीं है ये इलाज़ ग़र तेरे मर्ज़ को .....
किसी और नज़रिए से  देख ज़िंदगी के कर्ज़ को ....

तमाम चारागर को बख्शी नहीं तौफी़क एक सी ....
इलाही यहां समझे कौन है इबादत के फर्ज़ को ....

Sunday, September 25, 2016

वो 'दर्द' सोच भी ले तो

वो 'दर्द' सोच भी ले तो हमारी यह हालत होती है .....
सलवटे दिल में पड़़ती है और सांसे गहरी होती हैं.......

Tuesday, September 13, 2016

अपना वजूद ताउम्र ढूंढता ही रहा

अपना वजूद ताउम्र ढूंढता ही रहा  'नितिन' .....
इसी मुगा़लते मैं किसी और की ज़िंदगी जी गया .......

उस के दिल में प्यार था प्यार है मुझे खबर है
क्यों इजहार के वक्त वह अपने लब सी गया

उसके हौसले में कुछ तो कमी छोड़ी थी तूने
खुदाया कमोबेश उसकी  सजाये मै जी गया

अब हो कलाम या हो सजदा या फिर दीदार
मगर था जो जहर जुदाई का वो मैं पी गया

Monday, September 12, 2016

क्यों खुद से खफ़ा हो बैठे

क्यों खुद से खफ़ा हो  बैठे चंद गुनाह करके ......
वो दरिया दिल तो किसी को कुछ कहता ही नहीं.....

Thursday, September 8, 2016

अल्फाज़ तो दीवाने होते है


अल्फाज़ तो दीवाने होते है .....
मुंतज़िर हुस्न ओ ज़माल के ....
बहने लगते है पिघल कर ....
जलवाग़री ए हसीँ ख़्याल के .....

Sunday, September 4, 2016

Impressed and Inspired by a friend's photo

Impressed and Inspired by a friend's photo.

वो काई की दीवारों का साथ पाकर भी खुश हो जाती है
फुटपाथ पर खंबे सहारे खड़े होकर भी खुश हो जाती है

उसकी आँखों की चमक का इक अंदाज़ खास है
वो भीतर की रोशनी बिखरा कर भी खुश हो जाती है

उसकी मुस्कान बेशक कत्ल कर दे हजारों लाखों को
वो बन के ज़िंदगी दीवानों की भी खुश हो जाती है

खुशी बनती है भीतर उसके किसी कारखाने की तरह
वो दोस्तों में खुशी लुटा कर भी  खुश हो जाती हैं