जज्बात और अल्फाज़ का मिलन बना है खास सा तुम कैफियत से जायका लेना हर इक एहसास का
अल्फाज़ तो दीवाने होते है ..... मुंतज़िर हुस्न ओ ज़माल के .... बहने लगते है पिघल कर .... जलवाग़री ए हसीँ ख़्याल के .....
No comments:
Post a Comment