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Tuesday, September 13, 2016

अपना वजूद ताउम्र ढूंढता ही रहा

अपना वजूद ताउम्र ढूंढता ही रहा  'नितिन' .....
इसी मुगा़लते मैं किसी और की ज़िंदगी जी गया .......

उस के दिल में प्यार था प्यार है मुझे खबर है
क्यों इजहार के वक्त वह अपने लब सी गया

उसके हौसले में कुछ तो कमी छोड़ी थी तूने
खुदाया कमोबेश उसकी  सजाये मै जी गया

अब हो कलाम या हो सजदा या फिर दीदार
मगर था जो जहर जुदाई का वो मैं पी गया

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