Impressed and Inspired by a friend's photo.
वो काई की दीवारों का साथ पाकर भी खुश हो जाती है
फुटपाथ पर खंबे सहारे खड़े होकर भी खुश हो जाती है
उसकी आँखों की चमक का इक अंदाज़ खास है
वो भीतर की रोशनी बिखरा कर भी खुश हो जाती है
उसकी मुस्कान बेशक कत्ल कर दे हजारों लाखों को
वो बन के ज़िंदगी दीवानों की भी खुश हो जाती है
खुशी बनती है भीतर उसके किसी कारखाने की तरह
वो दोस्तों में खुशी लुटा कर भी खुश हो जाती हैं
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