जज्बात और अल्फाज़ का मिलन बना है खास सा तुम कैफियत से जायका लेना हर इक एहसास का
क्यों खुद से खफ़ा हो बैठे चंद गुनाह करके ...... वो दरिया दिल तो किसी को कुछ कहता ही नहीं.....
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