नज़्म - एक किस्सा पुराना है....!
कुछ कहना है तुमसे मगर हालात नहीं है,
जज़्बात है दिल में मगर अलफ़ाज़ नहीं है,
काश ! के कुछ ऐसा होता इस जहाँ में की ,
ख़ामोशी बयाँ दिल की हालत करती,
सच जानिए ये भी है दावा मेरा ,
बेतरह से फिर आप हम पे मरती,
मगर हक़ीक़त-ए-जहाँ में ऐसा रिवाज़ नहीं है,
आगाज़े इश्क तो यहाँ, अंज़ाम नहीं है,
जज़्बात है दिल में मगर अलफ़ाज़ नहीं है,
कुछ कहना है तुमसे मगर हालात नहीं है,