View - एक नज़रिया
जज्बात और अल्फाज़ का मिलन बना है खास सा तुम कैफियत से जायका लेना हर इक एहसास का
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Saturday, September 3, 2011
तन्हां रातों में शबनम के कतरे गिरते है
तन्हां रातों में शबनम के कतरे गिरते है
आसमाँ भी दिन में कँहा रोता है
शब - ए- ग़म का साथी चाहिए कोई
सुबहो तो सारा जमाना साथ होता है
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