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Tuesday, September 6, 2011

कुछ कहना है तुमसे मगर हालात नहीं है,

नज़्म -     एक किस्सा पुराना है....!


कुछ कहना है तुमसे मगर हालात नहीं है,
जज़्बात है दिल में मगर अलफ़ाज़ नहीं है,

काश ! के कुछ ऐसा होता इस जहाँ में की ,
ख़ामोशी बयाँ दिल की हालत करती,

सच जानिए ये भी है दावा मेरा ,
बेतरह से फिर  आप हम पे मरती,

मगर हक़ीक़त-ए-जहाँ में ऐसा रिवाज़ नहीं है,
आगाज़े इश्क तो यहाँ, अंज़ाम नहीं है,

जज़्बात है दिल में मगर अलफ़ाज़ नहीं है,
कुछ कहना है तुमसे मगर हालात नहीं है,

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