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Tuesday, September 20, 2011

कागज़ पर उनका नाम कभी लिखते है मिटाते है

  Ghazal - Old one          25-03-1994
                                           7:45 P.M

कागज़ पर उनका नाम कभी लिखते है मिटाते है
बाद उनके जाने के हम ऐसे वक़्त बिताते है

कभी सुबहो ना मिली, कभी शाम ना मिली
किस तरह हुस्न  वाले  इश्क को  सताते  है

साया है उनकी ज़ुल्फ़ का उनके चेहरे का है नूर
जहां वाले जिसे शाम- ओ- सुबहा बताते है

उनको नहीं है इल्म कुछ अपने शबाब का
आईने मुकम्मल उनका हुस्न कहाँ दिखाते है

छाने लगी है मदहोशी सी बाद-ए- सबाँ  में
रखा है शहर में कदम मुहल्ले वाले बताते है

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