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Wednesday, August 31, 2011

जिंदगी को देखो कभी आईने में तुम

ग़ज़ल
31-08-2011, 01:45 A.M
जिंदगी को देखो कभी आईने में तुम
हर लम्हा तैरता हुआ मिल जाएगा

कौन कहता है वक़्त लौटता नहीं
मैं कहता हूँ वक़्त और कँहा जाएगा

सुर और ताल का संगम है संगीत जैसे
वक़्त और जिंदगी में वही राग़ मिल जाएगा

ना ताल ज्यादा बढ़े ना सुर धीमा लगे
वक़्त में ज़िन्दगी,ज़िन्दगी में वक़्त मिल जाएगा

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