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Saturday, January 28, 2012

इज़हारे इश्क न आया मुझको.......

16-02-2011
09:20 A.M

अल्फाज़ कितने भी पिरो दें मोतियों की तरह
इज़हारे-ए-इश्क वो कर कभी कर नहीं पाते

जज़्बात है जो मोहब्बत के दिल में
ज़ुबां से कभी वो हम कह नहीं पाते

ख्वहिशों  का कारवां भी देखा है आते-जाते
ख़्वाबों से आगे कभी कुछ चाह नहीं पाते

अधूरी सी लगती है ज़िंदगी मोहब्बत के बिना
मगर मोहब्बत है जिससे हम कह नहीं पाते

काश ! मेरी नज़रों में पढ़ लें वो सब कुछ
नज़र भर देखे बिना हम तो रह नहीं पाते

इज़हारे मोहब्बत आया न मुझे .........2011

16-02-2011
09:20 A.M

(इज़हारे मोहब्बत आया न मुझे .........)

अलफ़ाज़ कितने भी पिरो दे मोतिओं की तरह
इज़हारे-ए-इश्क वो कभी कर नहीं पाते

जज़्बात है जो मोहब्बत के दिल में
ज़ुबां से कभी वो हम कह नहीं पाते

ख्वहिशों का कारवाँ भी देखा आते-जाते
ख़्वाबों से आगे कभी कुछ चाह नहीं पाते

अधूरी सी लगती है ज़िंदगी मोहब्बत के बिना
मगर मोहब्बत हो जिससे हम कह नहीं पाते

काश ! मेरी नज़रों में पढ़ लें वो सब कुछ
नज़र भर देखे बिना हम तो रह नहीं पाते

Wednesday, January 25, 2012

कुछ न कहेंगे आपसे बिछड़ जाने के बाद

26-06-1995
12:55 A.M

कुछ न कहेंगे आपसे बिछड़ जाने के बाद
सोचा करेंगे आपको बिछड़ जाने के बाद

शगुफ़्ता न रह सकेंगे, महकेंगे फूल कैसे
ख़ुशबू कंहा पे होगी ? बिछड़ जाने के बाद

सितारों को ग़म तो होगा असर चाँद पर भी होगा
चमका करेंगे कैसे ? बिछड़ जाने के बाद

किसको पता चलेगा ? हवाएं चली किधर को ?
ज़ुल्फें कंहा उड़ेगी ? बिछड़ जाने के बाद

पलकों पे ढल के कतरें आँखों को नम करेंगे
शबनम भी रो पड़ेगी बिछड़ जाने के बाद

तेरी बस इक झलक को तरसता हूँ


(1991  से इक ग़ज़ल तरसाती  सी .......मगर लुभाती सी ..........)

तेरी बस इक झलक को तरसता हूँ
वास्ता तुझसे रहे इस बात को तरसता हूँ

खुशबू तेरे सांसों की ले न पाया तो क्या
अपनी हर सांस तुझे देने को तरसता हूँ

फ़ितरत से तेरी कोई रश्क-ओ-ग़म नहीं मुझे
हस्ती क्यूं अपनी मिटाने को तरसता हूँ

दुश्मनी का भी तो कोई वजूद नहीं तुमसे
फिर भी मैं तेरी दोस्ती को तरसता हूँ

ऐसा नहीं है हमको ऐतबार नहीं ख़ुद पर
न जाने क्यूं तुझे पाने को तरसता हूँ

Friday, January 20, 2012

ख़्वाब, रंग और अक्स, हक़ीक़त

01-12-2010
10:15 P.M
(मेरी या तुम्हारी, सारी बात )

ख़्वाब, रंग और अक्स, हक़ीक़त
या हो फिर आसमाँ, हवा की बातें

झरने, बादल, बिजली, बारिश
या हो फिर बस घटा की बातें

कली, फूल हो, महक हो खुशबू
या हो फिर मौसम-ए-गुल की बातें

कुछ भी तो नहीं है तुम बिन
बेशक हो सारे जहां की बातें

तुमको देखा तो सर झुक गया
ख़त्म हो गयी यंहा-वंहा की बातें

Tuesday, January 17, 2012

एहसास - 2008

14-12-2008
11:45 A.M

आज सुबह मोहब्बत ने सवाल किया मुझसे
तुझे तपती धूप कहूं? या ठंडी छांव कंहूँ  ?

मेरे ज़ेहन ने जवाब दिया उसको -
न मै तपती धूप हूँ - न ठंडी छांव हूँ ,
जब सर्द हवाएं सताए तुम्हे - तो मुझे मीठी धूप समझ लेना
जब सूरज की किरणे जलायें तुम्हे -  तो ठंडी छांव समझ लेना

मेरे इश्क का कोई एक आयाम नहीं है
जिस रूप में ज़रुरत हो मोहब्बत की -
उस रूप को मेरा एहसास समझ लेना ,

फूलों में बसा है खुशबू की तरह
चाँद में छिपा है चांदनी की तरह
मेरा इश्क हरदम साथ है तुम्हारे
तुम्हारे दिल में बसा है धड़कन की तरह

तुम खुशबू को मेरा एहसास समझ लेना
चांदनी को मेरा प्यार समझ लेना
जब भी बरसे बादल जम कर आसमाँ से
मेरी मोहब्बत का ये इकरार समझ लेना

Saturday, January 14, 2012

आ जीने का तुझे अंदाज़ सिखा दूँ

10-12-2007
11:50 A.M

आ जीने का तुझे अंदाज़ सिखा दूँ
खोलती नहीं जिंदगी वो राज़ बता दूँ

गुनगुनाती है हवाएँ क्या वादियों में
बजता है कौन सा वो साज़ बता दूँ

इबारतों में बसते है अलफ़ाज़ फक़त
कौन से छुपे है उनमे जज़्बात बता दूँ

बर्क-ए-मोहब्बत जो छूती है तेरे बदन को
कौन सा मांगती है वो मक़ाम बता दूँ

Monday, January 9, 2012

क्या करोगे जब कभी हमारी याद आएगी ?

19-05-1997
11:00 A.M

क्या करोगे जब कभी हमारी याद आएगी ?
क्या ख़्वाबो में गुम होकर माज़ी में जाओगे ?

बिस्तर को समझ कर तुम वजूद मेरा
क्या लिपट कर तकिये से आंसू बहाओगे ?

देर तक लरज़ाएगी जब तुम्हे यादे मेरी
क्या उस दम खुद को भी भूल जाओगे ?

दर हकीक़त जो मेरे मुक़द्दर में न था
क्या ख़्वाबो में देकर मेरे जज़्बात सहलाओगे ?


वो रस्मों - रिवाज़ की फ़क़त दीवानी है

एक शे 'र -
26-05-1992

वो  रस्मों - रिवाज़ की फ़क़त दीवानी है
सच  पूछो  तो  ये  बातें  पुरानी  है
रूह आपकी मुझसे जुदा हो सकती नहीं
नज़र में आपकी क्या इश्क जिस्मों की कहानी है ?