01-12-2010
10:15 P.M
(मेरी या तुम्हारी, सारी बात )
ख़्वाब, रंग और अक्स, हक़ीक़त
या हो फिर आसमाँ, हवा की बातें
झरने, बादल, बिजली, बारिश
या हो फिर बस घटा की बातें
कली, फूल हो, महक हो खुशबू
या हो फिर मौसम-ए-गुल की बातें
कुछ भी तो नहीं है तुम बिन
बेशक हो सारे जहां की बातें
तुमको देखा तो सर झुक गया
ख़त्म हो गयी यंहा-वंहा की बातें
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